जय श्री राम
श्री रामचरितमानस की सिद्ध दोहा और चोपाई
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
अर्थात -
उपरोक्त चौपाई का संबंध सीता जी से है। राम काज के लिए जब वानर, भालू आदि की टोली सीता खोज में निकली। उस एक दल में हनुमान जी शामिल थे। हनुमान जी जब सीता खोज करते हुए लंका की अशोक वाटिका में पहुंचे जहां उन्होंने माता सीता से सकुशल भेंट किया और श्री राम के द्वारा दी गई मुद्रिका भेंट की। प्रभु श्री राम का कुशल संदेश पाकर सीता जी ने अपने ऊपर आए हुए विपत्ति को दूर करने के लिए हनुमान जी से उपरोक्त वचन कहे। श्री राम जिस प्रकार दीन दुखियों की सेवा करते हैं उनके संकट विपदाओं को हर लेते हैं उसी प्रकार दुख के बादल जो आए मेरे ऊपर आए हुए हैं उन दुखों को हर लीजिए। मुझे घोर संकट से निकालकर अपने शरण में लीजिए। आप जिस प्रकार दीन दुखियों की सेवा करना अपना धर्म समझते हैं, उसी प्रकार मुझे दुखियारी पर भी दया कर अपने धर्म का पालन करें|
इस चौपाई का प्रयोग कब और कहाँ और कैसे करें ----
जब भी आपको लगे की आप किसी संकट मै है या आपके ऊपर कोई संकट आने वाला है तो इस चोपाई का जाप निरंतर प्रारम्भ कर दीजिये सच्चे मन और पूर्ण विस्वास के साथ आप देखेगे कि आपके ऊपर आने वाला संकट कैसे श्री राम जी और हनुमान जी की कृपा से खुद ही टल गया या ऐसा कुछ होगा जो अपने सोचा भी नहीं होगा और आप उस बिपत्ति से कैसे बहार निकल आएंगे | लेकिन याद रहे कि प्रभु को धन्यवाद् देना नहीं भूलना और इस संकट से निकलने के लिए उनका आभार जताना |
नोट - यह प्रयोग आजमाया हुआ है
कृपा करके पूर्ण विस्वास के साथ करके देखें सफलता निश्चित मिलेगी
अपने प्रभु मै विश्वास रखें
"जय जय श्री राम"
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