गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

देवी माँ के 9 वाहन सिंह,हंस,व्याघ्र,वृषभ,गरुड़,मयूर,उल्लू,गदर्भ,हाथी का अर्थ

माता रानी के 9 अलग अलग रूप है और उनकी अलग अलग सवारी है | माँ के इन 9 रूपों को पाप का विनाश करने वाली कहा जाता है | पुराणों अनुसार हर देवी देवता के अलग वाहन है जो कल्पना न होकर उनसे सम्बंधित शक्ति का परिचय देते है | 

देवी माँ के 9 वाहनों का अर्थ



देवी माँ के 9 वाहन और उनका अर्थ


1- सिंह - देवी दुर्गा का वाहन सिंह बल का प्रतीक है माता दुर्गा के उपासक शक्तिशाली होते है और शत्रुओ का सामना करने में समर्थ होते है !


2 - हंस -  देवी सरस्वती का वाहन हंस है मोती चुगना उसकी विशेषता है इन गुणों को अपनाकर ब्रह्म पद पाया जाता है ! 


3- व्याघ्र - यह स्फूर्ति व निरंतर कर्म करने का प्रतीक है अतः माता देवी कुछ विशिष्ट रूपों में बाघ की सवारी करती है ! 


4 - वृषभ -  बैल ब्रह्मचर्य व संयम का प्रतीक है यह बल व सकारात्म ऊर्जा की प्राप्ति करता है इसलिए न केवल भगवती शैलपुत्री अपितु भगवान शिव नंदी की ही सवारी करते है !


5 - गरुड़ -  भगवती लक्ष्मी जब भगवान नारायण के साथ विचरण करती है तो वे विष्णु वाहन गरुड़ पर विराजमान होती है गरुड़ त्याग व वैराग्य के प्रतीक है इन्हें पक्षियों का राजा माना जाता है !


6 - मयूर -  भगवान कार्तिकेय की  परम शक्ति कार्तिकेय मोर पर विराजित है मोर सौन्दर्य , लावण्य , स्नेह , व योग शक्ति का प्रतीक है ! 


7 - उल्लू -  माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू आध्यात्मिक दृष्टि से अंघता का प्रतीक है सांसारिक जीवन में लक्ष्मी यानि धन दौलत के पीछे भागने वाला इंसान आत्मज्ञान रूपी सूर्य को नहीं देख पाता है ! 


8 - गर्दभ -  यह तमोगुण का प्रतीक है इसलिए भगवती कालरात्रि ने इसे अपने वाहन के रूप में चुना है माता शीतला माता का वाहन भी गधा ही होता है ! 


9 - हाथी -  देवी विभिन्न रूपों में हाथी पर विराजमान होती है अनेक लोकदेवीयाँ हाथी पर बैठती है |  तंत्र शास्त्र के अनुसार देवी का एक नाम गजलक्ष्मी भी है ! 

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