शनिवार, 10 अगस्त 2024

बहुत ही सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी... हमारा दिया हमे वापस

हमारा दिया हमे वापस


एक राज्य में बहुत पानी गिरने से बाड़ आ गई थी|वहां के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिल कर गांव गांव से चंदा, खान पान की चीजें, कपड़े आदि लेकर जमा करना शुरु किया ताकि बाड़ से पीड़ित लोगों की कुछ मदद कर सके|


हर कोई अपनी अपनी इच्छा और हैसियत के अनुसार कुछ न कुछ दे रहा था|


जब वे एक संपन्न परिवार के घर गये तो उनका बच्चा बहुत उत्साहित हुआ कि उन्हें वे बहुत कुछ दे सके, जब वह अपने मा बाप से कहने लगा तो वे कहने लगे "एसे तो मांगने वाले बहुत आते रहेंगे तो क्या सारा घर लुटा दोगे, जाओ वो एक फटी हुई पुरानी चादर पड़ी है दे दो उन्हें"


कुछ घंटों बाद पानी का बहाव और बड़ गया और उस परिवार का घर भी पानी से लदालद हो गया|

फिर उन्हे भी घर छोड़ कर उस धर्मशाला में जाना पड़ा जहां सभी पीड़ित लोग आये हुए थे|

बरसात की वजह से ठंड भी काफी लग रही थी|

उन्होने वहां से कुछ कंबल या चादर की याचना की|

कार्यकर्ताओं ने कहा "भाई जो काफी समय से यहां सारे लोग आ चुके हैं, हमने सभी में सब बांट लिया है, देखता हूं कुछ बचा है क्या?"


जब उसने देखा तो एक चादर दिखी और ले आया| चादर काफी फटी हुई थी|


चादर देते वक्त उसने कहा "माफ करना भाई कुछ रहा तो नही सिवा इस फटी चादर के| इसी से गुजारा कर लो| यह शायद नहीं बचती फटी है इसलिए बच गई है| "


अब वे तीन भला उस फटी चादर में कैसे गुजारते?

उन्होने वह चादर अपने बच्चे को ओड़ दी| 

जब बच्चे ने वह देखी तो कहने लगा,


"हमारा ही दीया हमे वापस"


सीख:- जैसे वह परिवार संपन्न था उसके बावजूद भी उन्होने फटी मैली चादर ही दी जोकि उन्हे ही वापस मिली| अगर वे कुछ अच्छी रजाईयां या कंबल देते तो हो सकता है वो उन्ही के काम में आते|हमारे मन में जैसी भावना हो वैसी ही भावना हमे वापसी में मिलती है।

और

हमारा ही दीया हुआ हमे वापस मिलता है....

अगर अच्छा दो तो अच्छा ही वापस भी आयेगा।

  हमारा दिया हमे वापस बहुत ही सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी 


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