जय माता दी
इन दिनों शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है| नौ देवियां निम्नलिखित है-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
१ शैलपुत्री – नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है जिन्हें चंद्रमा का प्रतीक माना गया है| शैलपुत्री की पूजा करने से सभी प्रकार के चन्द्रमा के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते है और जीवन में शांति आती है | इस दिन भक्तों को पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
प्रिय फूल - कनेर के पुष्प
प्रिय फल - अनार
भोग - घी का भोग
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला-कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
२ ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का दूसरा रूप कहां गया है | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन पूरे विधान से की जाती है | मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को प्रदर्शित करती हैं ,जो इस दिन पूरे मन से पूजा करता है उसके समस्त प्रकार के दुख दर्द और तकलीफ दूर हो जाती है | इस दिन आपको हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रिय फूल -वट यानी कि बरगद के पेड़ का फूल
प्रिय फल - सेब
भोग - मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री काफी पसंद हें |
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
३ चंद्रघंटा – नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है जो कि शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं मां चंद्रघंटा की पूजा करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं इस दिन ग्रे रंग के कपड़े पहनने की मान्यता है।
प्रिय फूल - शंखपुष्पी के फूल
प्रिय फल - केला
भोग - दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥
४ कूष्माण्डा – नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है जो कि गुरु को प्रदर्शित करती है इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र पहनने को शुभ माना जाता है मां कुष्मांडा सभी प्रकार की विपत्तियों को दूर कर देती है।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी
५ स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो कि बुध ग्रह को नियंत्रित करती है अगर आप पूरे विधि विधान से मां की पूजा करते हैं तो आप मां की कृपा सदैव बनी रहती है मान्यता है इससे संतान सुख प्राप्त होता है साथ ही इस दिन सफेद कपड़ो को पहनने का विधान है।
प्रिय फूल - पीले रंग का फूल पसंद है
प्रिय फल - अंगूर
भोग - केले का भोग
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥
६ कात्यायनी – बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने वाली मां कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठवें दिन अर्थात षष्ठी तिथि को की जाती हैं मां की पूजा करने से हिम्मत और शक्ति में वृद्धि होती है इस दिन आपको लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रिय फूल - बेर के पेड़ के फूल
प्रिय फल - अमरुद
भोग - शहद अर्पित करना चाहिए
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
७ कालरात्रि – सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि की पूजा की जाती है जिन्हें शनि ग्रह का प्रतीक माना गया है मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों में वीरता बढ़ जाती हैं साथ ही आपको इस दिन नीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रिय फूल - रात रानी का फूल या फिर गेंदा अर्पित करें
प्रिय फल - चीकू
भोग - गुड़ का प्रसाद
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श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥
८ महागौरी – नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है जिन्हें राहु ग्रह को नियंत्रित करने के प्रति के रूप में माना गया है इस दिन पूजा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है इस दिन आपको गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रिय फूल - मोगरे के फूल
प्रिय फल - शरीफा
भोग - नारियल या नारियल से बनी चीजें
सिद्धगन्धर्व-यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
९ सिद्धिदात्री – नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं इस दिन आपको पर्पल रंग के कपड़े पहनने चाहिए जिससे आपकी बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
प्रिय फूल - चंपा या गुड़हल के फूल
प्रिय फल - संतरा
भोग - प्रिय भोग हलवा, पूड़ी ,चने और नारियल
नवरात्रि पूजा विधि
सुबह जल्दी उठे तथा स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन ले
उसके उपरांत उपयुक्त दी गई पूजा सामग्री को इकट्ठा कर ले
उसके उपरांत पूजा की थाली सजाएं
इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर लाएं और लाल रंग के वस्त्र में रख दे
आपको मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोने चाहिए तथा नवरात्रि के अंतिम दिन यानी 9 मई तक आपको उसमें प्रतिदिन पानी का छिड़काव करना चाहिए
शुभ मुहूर्त के अनुसार क्लास को स्थापित करें इसमें गंगाजल को भरने साथ ही कलर्स के मुख पर आम की प्रतियां लगाएं तथा नारियल को उसके ऊपर रख लें अब लाल कपड़े से कलश को लपेट लें अब इसको मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
अब उपयुक्त पूजा विधि के द्वारा पूजा आरंभ करें मां दुर्गा का नाम ले मां दुर्गा की आरती और चालीसा गायें और जिस दिन आप पूजा कर रहे हैं उस दिन मां दुर्गा के उस रूप का नाम लें तथा मंत्रोच्चारण करें
सभी 9 दिनों तक सभी शक्ति रूपों से संबंधित मंत्र का जाप करें तथा शक्ति रूपा की पूजा करके उनसे समृद्धि की कामना करें
मान्यताओं के अनुसार अष्टमी या नवमी तिथि के दिन आपको दुर्गा पूजा करने के बाद नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए साथ ही साथ उन्हें भोजन खिलाकर दान दक्षिणा दे
नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा माता का विसर्जन करें आरती गाएं उनकी चालीसा गाने तथा फूल चावल को चढ़ाकर विधि से कलश को उठा लें
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
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